[नज़्म] मुहब्बत के नाम
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उसामा हमीद
सुनते हैं लाहौर में कोई बुक स्ट्रीट है
शायद वैसी ही हो जैसी हमारे कलकत्ते की कॉलेज स्ट्रीट है
जहां एक बार हम बड़े शौक से गये थे
और पुरानी किताबों की दुकानों पर घंटों बिताये थे,
तब तुम मेरे साथ थे
तुम उस समय भी मेरे साथ थे जब हम
पांडिचेरी की मुल्ला स्ट्रीट की एक मस्जिद पर रुके थे
वहां पुरानी किताबों की मार्केट नहीं थी
लेकिन वहाँ समंदर की आवाज थी
जो वहाँ हमेशा से ही रही होगी
और हमेशा रहेगी.
बस समंदर ही हमेशा रहेगा.
अब जो मैं लाहौर की बुक स्ट्रीट जाने की सोचूँ
तुम मुझे एक समंदर किनारे खड़े होकर याद करना
ऐसे कि तुम्हारे कदमों की छुअन समन्दर पर फैल जाये
मैं तुम्हें पुरानी किताबों की खुशबू मे देखूँगा.
पुरानी किताबों की खुशबू हमेशा रहेगी.
और हमारी वो मोहब्बत भी
जो हमने समंदर की नज़र कर दी है.
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