इक़बाल, टैगोर, गाँधी, ब्रेक्सिट और बॉलीवुड पर चर्चा के साथ 'अमुवि साहित्योत्सव २०१७' का समापन
अलीगढ़ | ०५ मार्च २०१७
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी डिबेटिंग एंड लिटरेरी क्लब (यूडीएलसी) द्वारा कल्चरल एजुकेशन सेंटर (सीईसी) परिसर में आयोजित तीन दिवसीय तीसरे 'अमुवि साहित्योत्सव २०१७' का समापन हुआ.
अमुवि साहित्य उत्सव की विशेषता है कि यह विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा स्वतंत्ररूप से आयोजित किया जाता है. समारोह के तीसरे एवं अंतिम दिन की शुरुआत पैनल चर्चा “मोदी, ब्रेक्सिट, ट्रम्प और अन्य – लोकतान्त्रिक राजनीति के नए स्वाभाविक विषय” से हुई.
उक्त विषय पर परिचर्चा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के जानकार ओमैर अहमद ने भारतीय राजनीति के संदर्भ में कहा कि आम जनता के विचारों से खेलना बहुत आसान है इसलिए राजनैतिक पार्टियां इसका फ़ायदा उठाती हैं. वहीं मनोज कुमार झा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के युवाओं को अन्याय के खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता है.
प्रोफेसर असमर बेग ने राजनैतिक ताक़तों के ज़मीनी मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश पर प्रकाश डाला और आने वाले समय से सचेत किया. परिचर्चा के पश्चात् कविता पाठ का सत्र चला जिसमें अदिति राव, शिवानी कोहली और छात्र छात्राओं ने कवितायें प्रस्तुत कीं.
दूसरी चर्चा "अतिराष्ट्रवाद के दौर में इक़बाल और टैगोर” में प्रख्यात लेखक ज़फ़र अंजुम और इरफानुल्लाह फ़ारूकी ने राष्ट्रवाद की परिभाषा में अतिक्रमण पर चर्चा की.
फिल्म अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्त्ता स्वरा भास्कर ने तीसरी परिचर्चा के विषय “क्या समकालीन बॉलीवुड सिनेमा लिंग के आधार पर समाज की रूढ़िवादिता को चुनौती दे रही है ?” पर बोलते हुए कहा कि बॉलीवुड बदल रहा है. बॉलीवुड में आये इस बदलाव की वजह उन्होंने दर्शकों की सोच में आये परिवर्तन को बताया. उन्होंने ने 'मर्दानी', 'एन एच १०' ‘लिसेन अमाया’ जैसी फिल्मो का ज़िक्र किया.
समारोह का समापन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की पुस्तक “लेट्स किल गांधी” पर बातचीत के साथ हुआ. रात्रि में एक मुशायरा का आयोजन किया गया.